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लेखनी कहानी -06-Sep-2022 वो भी खुश मैं भी खुश

आज सुबह घूमने के लिए पार्क चला गया । कई दिनों से पारिवारिक कार्यक्रम होने के कारण घूमना हो नहीं रहा था । और फिर कल ही छैल बिहारी जी बता रहे थे कि छमिया भाभी भी शिमला से लौट आईं हैं इसलिए आज तो घूमने आना ही था । 


पार्क में हंसमुख लाल जी, खैराती लाल जी, धोखे लाल जी , धूर्त मल जी और दुखीराम जी पहले से ही मौजूद थे । हम भी उनकी मंडली में शामिल हो गये । रिटायरमेंट के बाद एक यही तो काम बचा है करने को । घूमो, फिरो और मस्त रहो । इससे घरवाले भी खुश और हम भी । 

हंसमुख लाल जी के चेहरे से प्रसन्नता बरस रही थी । हमने कहा "भैया हंसमुख लाल , ऐसा कौन सा "कारूं का खजाना" हाथ लग गया है जो सावन की सी झड़ी की तरह खुशियों की झड़ी लग रही है । हमें भी कुछ उपाय बतला दो जिससे हम भी आनंद की कुछ फुहारों से तर हो लें" । 

हमारी बातों से हंसमुख लाल जी का चेहरा पूर्ण विकसित कमल दल की तरह खिल गया । शरमाते हुए वे बोले "ऐसी तो कोई बात नहीं है भाईसाहब" 
"अमां, शरमा क्यों रहे हो ? कहीं छमिया भाभी से कोई ...." 
हमारी बात पूरी होती इससे पहले ही वे बोल पड़े "धीरे बोलो भाईसाहब,  कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा" ? 
"जिसे सोचना है सोचने दो , अपुन को क्या फर्क पड़ता है ? क्या आज सवेरे सवेरे दर्शन हो गये उनके" ? 
"अरे कहां भाईसाहब? हम तो सुबह से ही उनकी खिड़की पर टकटकी लगाए रहे पर सुसरी खिड़की खुली ही नहीं । हम क्या करते ? इधर आ गये" 
"फिर ये चेहरे से नूर क्यों बरस रहा है" ? 
"आजकल हमने खुश रहने का नुस्खा सीख लिया है" 
"अरे वाह ! हमें भी बताओ ना वह नुस्खा" । 

हंसमुख लाल जी थोड़ा नजदीक सरक आये और फुसफुसा कर कहने लगे जैसे कि कोई सुन लेगा तो मुसीबत हो जायेगी "वो क्या है न भाईसाहब कि आजकल हम सुबह सुबह अदरक वाली चाय पीने लगे हैं । और आप तो जानते ही हैं कि श्रीमती जी को अदरक से एलर्जी है । इसलिए मैं सुबह सुबह दो कप चाय बनाता हूं । अदरक वाली भेजे लिए और बिना अदरक वाली श्रीमती जी के लिए । वो भी खुश और मैं भी खुश" 
"वाह वाह, क्या बात है । बहुत खूबसूरत विचार और कार्य है आपका । नेकी और पूछ पूछ । अच्छा , यह तो बताओ कि आजकल व्यायाम क्यों नहीं करते हो" ? 
"घर में व्यायाम कर लेता हूं भाईसाहब । वो क्या है ना कि झाड़ू पोंछा करना सबसे बड़ा व्यायाम है । यह मेरे फिजिकल ट्रेनर ने बताया है । बस, तबसे झाड़ू पोंछा लगाकर ही घूमने आता हूं पार्क में । एक पंथ दो काज । काम का काम और फ्री में व्यायाम ।  इससे वो भी खुश और हम भी खुश" । 
"बहुत ही बढिया काम कर रहे हो भैया जी ।  पर ये तो बताओ कि लंच कौन बनाता है घर में" ? 
"अरे भाईसाहब, लंच की तो पूछो ही मत । मुझे बिना प्याज लहसुन के कोई सब्जी अच्छी नहीं लगती और "वो" प्याज लहसुन को हाथ भी नहीं लगाती । तो हम लंच में बढिया सा खाना बनाते हैं । दो चपाती अपने लिये बनाते हैं तो दो उसके लिए भी सेक देते हैं । इससे वह भी खुश और हम भी खुश रहते हैं" । 
"नुस्खा तो शानदार है हंसमुख लाल जी । शाम की चाय भी आप ही बनाते होंगे क्योंकि आप बिना अदरक के चाय पीते नहीं और भाभीजी को एलर्जी होने से वे अदरक को हाथ लगाती नहीं । क्यों है न सही बात" ? 
"सोलह आना सही है भैया । ऐसा ही होता है" 
"और डिनर" ? 

हंसमुख लाल जी ठहाका लगाते हुए कहने लगे 
"शाम होते ही पैग लगा लेता हूं । 
इस तरह दिल को बहला लेता हूं 
चिकन, मटन के बिना कैसी पार्टी 
वो छूती नहीं, खुद ही पका लेता हूं । 

बरबस हमारे मुंह से निकल गया "गजब नुस्खा निकाला है आपने हंसमुख लाल जी । दुखी पतियों के बहुत काम का है यह नुस्खा । इसलिए संभाल कर रखना" 
"इसलिए भाईसाहब,  हम तो किसी से बात ही नहीं करते हैं । आप सुनाओ , कैसे हो" ? 
"हाल तो हमारे भी "गधे" जैसे ही हैं पर "मार्केटिंग" आप जैसी नहीं है । आपके साहस और जज्बे को सलाम है" । 

श्री हरि 


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40 Comments

sunanda

11-Feb-2023 06:53 PM

nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

11-Feb-2023 10:51 PM

💐💐🙏🙏

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madhura

01-Feb-2023 02:19 PM

very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

11-Feb-2023 10:51 PM

💐💐🙏🙏

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Abeer

08-Sep-2022 04:04 PM

Bahut khub likha

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Hari Shanker Goyal "Hari"

11-Feb-2023 10:51 PM

💐💐🙏🙏

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